इलाहबाद हाईकोर्ट: 43 साल पुराने नाबालिग के साथ रेप के मामले में दोषी की सजा बरक़रार, दोषी को जेल भेजने का आदेश
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- November 18, 2022
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इलाहबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को 43 साल पुराने नाबालिग के साथ रेप के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को बरक़रार रखते हुए दोषी को जेल भेजने का आदेश दिया है।
जस्टिस समित गोपाल ने यह आदेश मेरठ के ओम प्रकाश द्वारा सी आर पी सी की धारा 374 के तहत दायर अपील को ख़ारिज करते हुए दिया है।
निचली अदालत ने 68 वर्षीय ओम प्रकाश को एक 10 साल की लड़की के साथ रेप का दोषी पाया था और उसे 6 साल की सजा सुनाई थी।
क्या है मामला?
इस मामले में मेरठ के बिनौली थाना में ओम प्रकाश के खिलाफ पीड़िता के पिता ने 4 अक्तूबर 1979 को आई पी सी की धारा 376 के तहत एफ आई आर दर्ज कराई थी।
पीड़िता के पिता का कहना था कि उसकी 10 साल की लड़की जिवाना के जंगल में घास काटने गई थी। वहां ओम प्रकाश पुत्र सुखविरे कुम्हार ने उसे जबरन पकड़ लिया और घसीट कर खेत में ले गया और उसके साथ रेप किया। पीड़िता के शोर मचाने पर उसका भाई और पिता अन्य के साथ घटना स्थल पर पहुंचे जिन्हे देख कर ओम प्रकाश भाग गया।
घटना के बाद पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई जिसमे पीड़िता की उम्र 10 साल होने और उसके साथ रेप होने की पुष्टि हुई थी।
इस मामले में निचली अदालत ने ओम प्रकाश को दोषी पाया था और उसे 2 जुलाई 1982 को 6 साल की सजा सुनाई थी।
निचली अदालत के इसी आदेश को ओम प्रकाश ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।
बचाव पक्ष का तर्क –
बचाव पक्ष का तर्क था कि पीड़िता की मेडिकल जांच करने वाली डॉक्टर और विवेचना अधिकारी का ट्रायल के दौरान परिक्षण नहीं किया गया था।
बचाव पक्ष का यह भी तर्क था कि घटना के दो चश्मदीद गवाहों को पेश नहीं किया गया इस लिए इस मामले में अभियोजन पक्ष के पास कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है।
बचाव पक्ष ने अपीलकर्ता/आरोपी की उम्र का हवाला देते हुए कहा था कि निचली अदालत में ट्रायल के दौरान उसकी उम्र 28 साल थी। अपीलकर्ता/ आरोपी की उम्र अब 68 साल है।
बचाव पक्ष का तर्क था कि घटना साल 1979 की है। 43 साल बीत गए अब मामले में अपीलकर्ता/ आरोपी को जेल भेजना बहुत ही कठोर होगा।
प्रतिवादी पक्ष का तर्क –
प्रतिवादी पक्ष ने बचाव पक्ष का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित कर दिया है।
इस मामले में प्रस्तुत साक्ष्य बिना किसी संदेह के अपीलकर्ता की संलिप्तता को दर्शाता है।
कोर्ट का आदेश –
कोर्ट ने माना कि स्पष्ट है कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता/ आरोपी के खिलाफ मामले को संदेह से परे सिद्ध करने में सफल रहा है।
कोर्ट ने अपीलकर्ता/ आरोपी की अधिक उम्र को राहत का आधार मानने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने यह भी माना कि पुरे मामले में शिकायतकर्ता और पीड़िता का अपीलकर्ता /आरोपी द्वारा उसके साथ किये गए रेप का संस्करण प्रभावित नहीं होता है। इस लिए मौजूदा अपील को ख़ारिज किया जाता है।
केस टाइटल – ओम प्रकाश बनाम स्टेट ऑफ़ यु पी (Criminal Appeal No. 2097 of 1982)
पूरा आदेश यहाँ पढ़ें –